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मोहब्बत / निशांत मिश्रा

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है आज दूर मुझसे कल मेरे पास होगी,
मेरी ये मोहब्बत बस मेरे पास होगी,
चाहें सितम जो दे दो, ग़म लाख मुझको दे दो,
फिर भी मेरी मोहब्बत कम तो कभी न होगी,
है दिल दीवाना मेरा, हंसके सहेगा ग़म ये,
जितना परेशां होगा, चाहत भी तो बढ़ेगी,
जो ज़ख्म भी मिले तो, दिल में है उनको रखा,
सहता रहूँगा हरदम, मोहब्बत न बदनाम होगी,
है प्यार में वफ़ा ही, जीने का इक सहारा,
जिंदगी तो अपनी, अब इसके नाम कर दी,
अब शिकवा नहीं है कोई, न रही कोई शिकायत,
मोहब्बत पे आज हमने, अपनी वफ़ा है लिख दी