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तलाश एक नाम की / निशांत मिश्रा
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समुद्र किनारे बैठा, रेत पर लिख रहा था,
मैं नाम तुम्हारा,
याद कर रहा था मैं, गुजरा अतीत,
सोच रहा था,
अपने बीते कल को लेकर,
एकाएक..
शांत व्याप्त नीरवता को खत्म करती,
समुद्र से, एक ऊँची तेज लहर आई,
और
मिटा गई रेत पर लिखा तुम्हारा नाम,
मिटा गई मेरा बीता अतीत,
मेरा गुजरा हुआ कल,
अब....
नहीं रखना चाहता याद,
अपने अतीत और गुजरे कल को,
पुन: तलाश करना चाहता हूँ,
वर्तमान मे
अपनी पहचान बनाने के लिए,
एक नाम की,
हाँ... एक नाम की