भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किंयां समझावूं / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:02, 29 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूराम बिजारणियां |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थान…)
क्यूं पैरया म्हारा गाभा.?
हुई किंयां हिम्मत
म्हारो रुमाल लेवण री.??
किंयां समझावूं भाईजी!
कोनी पैरूं
फगत फुटरापै खातर
आपरा गाभा।
कवच री गरज पाळै
थांरा गाभा
ढाल बणै रुमाल.!!
बधावै
हौंसळो ई
किणी बडेरै दांई
हर बगत
घर री जद सूं
निकळ्ती बेळा।
इण नाजोगै बगत में
थांरा गाभा पैरण रो मतळब
धीणाप ई हुवै
आप माथै।