भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मा / रामेश्‍वर गोदारा ग्रामीण

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:48, 6 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्‍वर गोदारा ग्रामीण |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani‎}} {{KK…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐन
टाबरपणौ तौ
म्हनै याद नी मा
पण कालै
म्हैं देखी
इण चैत री धुर तावड़ी
टिटूड़ी नै
अंडौ सेवता।