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फिर पुरानी राह पर आना पड़ेगा /वीरेन्द्र खरे अकेला

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फिर पुरानी राह पर आना पड़ेगा उसको हिन्दी में ही समझाना पड़ेगा

गर्म है पॉकिट तुम्हारी बच के जाना लुट न जाना राह में थाना पड़ेगा

कोयलो, फ़रमान जारी हो गया है साथ कौवों के तुम्हें गाना पड़ेगा

इस मुहल्ले में मकाँ मुझको दिला दे इस जगह से पास मयख़ाना पड़ेगा

किसको फु़रसत है हुनर देखे तुम्हारा तुमको ख़ुद मैदान में आना पड़ेगा

आईनो, ख़ुद को ज़रा मज़बूत कर लो पत्थरों से तुमको टकराना पड़ेगा

ऐ ‘अकेला’ होगी बहुतों से बुराई पर लबों पे सच हमें लाना पड़ेगा