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इयां कियां पार पड़ेली / कुमार गणेश
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दो पग आगा,दस पग पाछा,इयां कियां पार पड़ेली
दस है कूड़ा,दो है साचा, इयां कियां पार पड़ेली
कपडछाण जे करो सांच रो,हाथ कंई नई आवेला
मुंडा माथा,कूड़ा साथा, इयां कियां पार पड़ेली
जोर जमायो कुरसी तांई,दौड़ लगायी कुरसी तांई
करयां ऊंधा साटा-बाटा,इयां कियां पार पड़ेली
मिनाखाचारो रूंख लटकियो,यारी पड़गी कूवे मांई
कूवे भांग घुली है यारां,इयां कियां पार पड़ेली
आंगणिया खाली-खाली है,गली-गवाडां स्यापो पड़ग्यो
बरणाटा मारे सरणाटा,इयां कियां पार पड़ेली
चमक उतरगी धोरां री,सै धोला धट्ट होयग्या है
गाँव आंवता सैरां मांई,इयां कियां पार पड़ेली