पेट का दिज़ भरना है
और हमें क्या करना है
जीना है डरते-डरते
डरते-डरते मरना है
चलना है अपने क़दमों
अपनी राह गुज़रना है
झूठ हमारा राज़िक है
सच से रोज़ मुकरना है
कश्ती में बैठे-बैठे
किसको पार उतरना है
डूब गए सब ख़्वाब मेरे
आँखें हैं या झरना है
मोती माणिक सब तेरे
गहरे और उतरना है