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ठिकाना / हरीश बी० शर्मा

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शहर की
उस बेतरतीब गली के मुहाने
हुआ पीला घर
बन गई है वह मेरी गली
मुकाम-पोस्ट
और जिला-तालुका
सब अपने-आप जुड़ जाते हैं
मैं चाहता हूं
घर बदलूं
लगाना पड़ै कैयर ऑफ
देना पड़े किराया
घर अच्छा-सा लूं
होना चाहिए
थोड़ा पंप एंड शो
कुछ पाना है तो
लाजिमी है कुछ खो।