Last modified on 14 सितम्बर 2011, at 05:09

सीप-1 / चंद्रसिंह बिरकाली

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:09, 14 सितम्बर 2011 का अवतरण (सीप / चंद्रसिंह बिरकाली का नाम बदलकर सीप-1 / चंद्रसिंह बिरकाली कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

विदा लेते हुए
रात ने उषा से कहा-
कल यहीं, अच्छा ।
उड़ती हुई उषा ने
सूरज से सुना-
कल यहीं, अच्छा !
आंखों से ओझल होते
सूरज से
अंत में सांझ ने वचन लिया
कल यहीं, अच्छा !

अनुवाद : मोहन आलोक