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सपने-1 / सुरेश सेन निशांत
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उन्होंने लोगों के मन में
भर दिया ढेर सारा भय
ढेर सारे काँटे बो दिए
नींद के पथ पर
जलते हुए अंगारों से भर दिया
शान्त नींद का बिस्तर
ताकि कोई सपना
न ले सके जन्म
लोगों की नींद में