Last modified on 15 सितम्बर 2011, at 16:51

चिंताएं / ओम पुरोहित ‘कागद’

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:51, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> दम तोड़त…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


दम तोड़ती सड़क के किनारे
फुटपाथ पर छितराए
कंकरीट पर तप्पड़ बिछा
...अपनी गृहस्थी के संग
सांझ ढले से बैठा
कितना खुश है नत्थू !
रोटी आज नहीँ मिलेगी
जानते हैँ उसके परिजन
मग़र उनकी चिंताओँ मेँ
रोटी नहीँ
फिक्र है
नींद मेँ सोई अम्मा की
जो नहीँ है शामिल
आज रात हथाई मेँ ।

उधर
अघाए पेटोँ के ऊपर
अटकी है सांसे
गिरवी पड़ी है
कई दिनोँ की नींद
अज्ञात चोरोँ के यहां !