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दीया जलाएं / ओम पुरोहित ‘कागद’
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आसमान साफ
बादल और बिजलियां मौन
गतिमंद है पौन
पसरा है अंधेरोँ मेँ
...मौन सन्नाटा
मगर
निस्तेज नहीँ है सूरज
सारी गतियोँ को
कर देगा सक्रिय
अपने किसी एक फैसले से ।
आओ
हम करें प्रतिक्षा
सूरज के उगने की
तब तक
आओ जलाएं
एक एक दीया
अंधेरोँ से लड़ने के निमित
घरोँ की मुंडेर पर।