भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक छोटी झील थी वह / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:13, 16 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)
एक छोटी झील थी वह
पहाड़ो से घिरी, जल से भरी,
निर्मल
किन्तु सुनी देख रोती थीं
जिसे चुपचाप
सब चोटियाँ हिमधवल।
एक दिन किन दूरियों, ऊँचाइयों से अचानक
वह उतर आया हंस-
आकाश ही जिसकी कथा है-
मुस्करायीं चोटियाँ, खिलने लगी घाटी
खेलता था हंस लहरों संग
सब कुछ भूल कर-
झील आकाश हो आयी।
और लो, अचानक उड़ गया हंसा-
उसे उड़ना था
झील का सुख स्मरण है।
कभी पाँखें तुम्हारी भी, हंस,
लहरियों में ऊब-डूब की याद से
कुछ सिहरती तो नहीं ?
(1980)