भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुप रहेगा इतिहास / प्रभात कुमार सिन्हा

Kavita Kosh से
Prabhat kumar sinha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:53, 19 सितम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अत्याधुनिक आदिम हवश
पूरी करेंगे वहशी
अस्थियों के ठाठर की छाती में
केवल धुकधुकी रहेगी सदी के
पतन के बाद

जय-पराजय की दुंदुभी
नहीं बजेगी
बर्बरता अपनी चोली बदल
मानवता को अपने बटन से नापेगी
भूखंड विशेष के
आकाश को
स्पुतनिक पर टिका कर
नचाएगी डायन
मेरी ही तरह चुप रहेगा इतिहास
भूगोल उसके छत्र में झालर बन नाचेगा
सदी के पतन के बाद