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नहीं दूँगा नाम / नंदकिशोर आचार्य

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नहीं दूँगा तुम्हें कोई नाम
जूही की कली,
कलगी बाजरे की छरहरी,
या और कुछ।

नाम देना पहचान को जड़ करना है
मैं तो तुम्हें
हर बार आविष्कृत करता हूँ

नाम देकर तुम्हें तीसरा नहीं करूगाँ
क्योंकि तुम सम्पूर्ण मेरी हो
तुम्हें तुम ही कहूँगा
कोई नाम नहीं दूँगा।

(1972)