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हँसी अब भी है / नंदकिशोर आचार्य
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हँसी अब भी है
कहीं पर बीच ही में
गुम हो जाती हुई
आँसू निकल आने के अन्देशे से
बोलता रहे कोई जैसे बेआवाज़।
इसीलिए मैं
माफ कर देता हूँ तुम्हें
गो कि करना माफ तुम को
खुद को सज़ा देना है।
(1989)