Last modified on 28 सितम्बर 2011, at 04:46

पहाड़ के भीतर-3 / नवनीत पाण्डे

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:46, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem>पहाड़ को जिसने …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहाड़ को
जिसने भी देखा है
होते हुए पहाड़
एक वही जानता है
पहाड़ का भीतर
पहाड़ अपने आप
कभी नहीं खोलता
अपना भीतर