भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:14, 11 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुप मोहता |संग्रह=समय, सपना और तुम ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मैं
पारदर्शी दृष्टि से
हर आवरण के पार
ओट में रखे हुए
प्रत्येक मिथ्या भ्रमजनक
अस्तित्व को छू,
ज्ञात करना चाहता हूं
सत्य क्या है ?
तुम्हें भी अधिकार है,
तुम टटोलो तहें मेरी
और पहचानो
कि मैं
बहता हुआ पानी नहीं हूं
महासागर हूं।