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म्हानै नुवां नीं जाण कलाळी / सांवर दइया
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(भवानीसिंह राठौड़ खातर)
म्हानै नुवां नीं जाण कलाळी
म्हैं जीवां थारै ताण कलाळी
जावै होश तो जावो भलांई
म्हैं राखां थारो माण कलाळी
म्हैं नटां कोनी तूं थकै कोनी
किण री टूटै अब बाण कलाळी
आ तो साव फीकी-सी लागै
पैलै तोड़ री छाण कलाळी
तूं नुंवी ऐ बोतल प्याला नुवां
हुई सांस नुंवी अटाण कलाळी