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कुछ छोटी कविताएँ / महमूद दरवेश
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अगर लौट सकूं शुरूआत तक कुछ कम अक्षर चुनूंगा अपने नाम के लिए
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अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को जिन्होनें रोपा था उन्हें, आंसुओं में बदल गया होता उनका तेल
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आसमान पीला क्यूं पड़ जाता है शाम को ? क्यूंकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में.
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मैं भूल गया बड़ी घटनाएं और एक विनाशकारी भूकंप याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू.
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इतना छोटा नहीं हूँ कि बहा ले जाएं मुझे शब्द इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूं यह कविता.