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सीधा / संतोष अलेक्स
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:50, 18 अक्टूबर 2011 का अवतरण
पहाड़ी पर स्थित
पेड़ की टहनी पर खड़े होकर
उसने कहा-
सच्चाई की सीख देनेवाले
रावुण्णी गुरुजी
कठिनाइयों से जूझने का साहस दिलानेवाली
बहन
मिलकर बाँटने को उत्साहित
भाई
दयालु माँ
इस दुनिया में मुझे
सीधे खड़ा रहना है
और
गले में फंदा डालकर
नीचे कूदा वह
फिर सीधा ही खड़ा रहा !