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आखर री औकात, पृष्ठ- 61 / सांवर दइया

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जे व्हैता फूल
थांरै रूड़ै जूड़ै में
मुळकता म्हे
०००

गोरै अंगाळी
थांरै अंगां भेटी म्हैम
व्हैगी सांवळी
०००

बिरछ-बेल
उछळ-कूद, निस्त
नितूको खेल
०००

देख बठीनै
चिड़ो-चिड़ी, बंतळ
अबै कट्‌यै ना
०००

चुप रैवूं म्हैं
बोलै कोनी कीं तूं ई
तो ई व्है बात
०००