भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहचान / राजा खुगशाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:52, 13 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजा खुगशाल |संग्रह=संवाद के सिलसिले में }} शीत लहर से ...)
शीत लहर से
इलाके को उभारती हुई
सूर्य की किरणों को
जानते हैं हम
जानते हैं
गैंती फावड़ा और कुदाल को
कन्धों से उतार कर
दरख़्त की छाया में
तन-मन का पसीना
पॊंछती हुई हवा को
आँखों में
तूफ़ान के संकेत समेटे
सूने मचान के मानिंद चुप
मज़दूर को
मज़बूरियों में
दास बना देने वाली दया को
पहचानते हैं हम