Last modified on 18 नवम्बर 2011, at 16:07

अच्छा लगता है / पद्मजा शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:07, 18 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा शर्मा |संग्रह=सदी के पार / पद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मुझे अच्छा लगता है
दिल से हँसना-हँसाना
उसके चेहरे पर ख़ुशी लाना

मुझे अच्छा लगता है
उसको लिखना-पढ़ना उससे मिलना
मिलने से पहले
और तेजी से दिल का धड़कना

मुझे अच्छा लगता है
मिलने के दो दिन बाद ही सुनना
‘दो बरस हो गए, मिलो ना !’

मुझे अच्छा लगता है
उसका प्रेम में खिलना
धीरे-धीरे खुलना

मुझे अच्छा लगता है
उसका मुझे पलकों पे बिठाना
मुझे बताए बिना

मुझे अच्छा लगता है
उसके चरित्र बनाना
और उसीसे उनमें रंग भरवाना
मुझे अच्छा लगता है।