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फागुन-3 / मणिका दास
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भरे हुए पते की
चिट्ठी लेकर
तुम्हारे गाँव में फागुन आया है क्या ?
आसमान में
जल रहे हैं क्या
पलाश मदार के लाल दीये ?
चाँदनी रात में
क्या
जाग रहे हो तुम
और लिख रहे हो कविता
शरारती फागुन की ?