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आत्म निर्भर / कुमार सुरेश
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== खांसी
अनैक्षिक क्रिया है एक
और
दिलाती है याद
हमारा सम्राज्ञय चाहे जितना बड़ा हो
शरीर उससे बाहर ही है
इसकी अप्रिय कर्कश ध्वनि
परिवार को भी करती है आशंकित
यह घोषणा
शरीर के अपनी तरह से
परतंत्र और स्वतंत्र होने की
खासी हमेशा उदास कर देती है
अगर सुन सको तो
सबसे बड़ा धार्मिक प्रवचन है