Last modified on 26 नवम्बर 2011, at 10:53

कितना सहज था मैं / हरप्रीत कौर

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:53, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरप्रीत कौर }} {{KKCatKavita‎}} <poem> सफल मित्रो...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सफल मित्रों को
लिखता रहा चिठ्ठियाँ
असफल प्रेमियों के लिए
होता रहा दुःखी

मेले में रहा ढूँढ़ता
खो गई लड़कियों के चेहरे
भूली हुई बारहखड़ी
लिखता रहा बेटी की कापियों पर

छिपाता रहा तुमसे
उन लड़कियों के खत
जिनके लिए मैं दुनिया का सबसे ईमानदार
प्रेमी था
तुम्हारी बहन के लिए लिखे मैंने
सबसे उदास गीत
 
खेल खेल में खुलता रहा
तुम्हारे आगे
 
कितना तो सहज था मैं