Last modified on 26 नवम्बर 2011, at 14:24

हर कोई चाहता है / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:24, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साधु ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का

भरथरी ने रानी को
            दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
— भरथरी को वैराग्य हो
                    आया

वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने ।

5 अप्रैल 2010