भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बना दी है जिसने / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:49, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ढूँढ़ती हुई पी को
ठहर-ठहर कर
चुप हो जाती है पुकार
वह
कान लगा कर सुनती
है
आहट निःस्वर
ख़ामोशी में अपनी
बना दी है जिस ने
उस की पुकार
संगीत ।
—
21 अप्रैल, 2009