भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुझे देखा तो ये जाना सनम / आनंद बख़्शी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:16, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद बख़्शी }} {{KKCatGeet}} <poem> कु: तुझे देखा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम
    तुझे देखा तो ये जाना सनम

कोरस: आ...

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम
तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम
    अब यहाँ से कहाँ जाएं हम
    तेरी बाहों में मर जाएं हम

ल: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम
    अब यहाँ से कहाँ जाएं हम
    तेरी बाहों में मर जाएं हम

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम

कोरस: आ...

ल: आँखें मेरी, सपने तेरे
    दिल मेरा, यादें तेरी

कु: मेरा है क्या, सब कुछ तेरा
    जान तेरी, साँसें तेरी

ल: मेरी आँखों में आँसू तेरे आ गए
    मुस्कुराने लगे सारे ग़म

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम

ल: अब यहाँ से कहाँ जाएं हम
    तेरी बाहों में मर जाएं हम

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम

ल: ये दिल कहीं, लगता नहीं
    क्या कहूँ, मैं क्या करूँ

कु: हाँ, तू सामने, बैठी रहे
    मैं तुझे देखा करूँ

ल: तू ने आवाज़ दी देख मैं आ गई
    प्यार से है बड़ी क्या कसम

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम

ल: तुझे देखा तो ये जाना सनम
    प्यार होता है दीवाना सनम

कु: अब यहाँ से कहाँ जाएं हम
    तेरी बाहों में मर जाएं हम

कोरस: आ...

कु: तुझे देखा तो ये जाना सनम

कोरस: आ...