भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपने में-1 / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:03, 29 नवम्बर 2011 का अवतरण
देखा सपने में
मैंने
अपने को
देखते हुए सपना
—और ईश्वर हो गया
जागता हुआ सपने में ।
—
7 जून 2010