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गहरे तहखाने / अर्जुनदेव चारण
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ईश्वर को
किसने देखा
कभी रोते हुए
शायद इसीलिये
तुमने
कभी नहीं भरी हिचकी
क्या गहरे तहखाने
हम लोग
इसी खातिर बनाते हैं मां ?