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दृश्य करते हुए / नंदकिशोर आचार्य

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कुछ कहते नहीं पत्ते
सूनेपन को शब्द करते हैं
                ख़ुद से भर कर—
हवा में बसा है जो

एक दिन
झर जाते हैं चुपचाप
हवा के सूनेपन को
दृश्य करते हुए ।

25 अगस्त 2009