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बुत हो गया फिर / नंदकिशोर आचार्य

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बगीचे के ठीक बीचोबीच
था वह, फड़फड़ाता पंख
जिस पर था जो पाखी
अचानक उड़ गया

अब कौन है साखी
कि तब जिस ने खोले थे पंख
बगीचे के ठीक बीचोबीच वह
बुत हो गया फिर अब ?

(1976)