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अख़बार / शंख घोष
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रोज़
सुबह के अख़बार में
एक शब्द
बर्बरता
अपनी
सनातन अभिधा का
नित नया विस्तार
ढूँढ़ता है ।
मूल बंगला से अनुवाद : नील कमल