भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए / रामनरेश त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:31, 7 दिसम्बर 2011 का अवतरण (हे प्रभु आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए / रामनरेश त्रिपाठी का नाम बदलकर [[हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे प्रभो! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥

प्रार्थना की उपर्युक्त चार पंक्तियाँ ही देश के कोने-कोने में गायी जाती हैं। लेकिन सच तो ये है कि माननीय त्रिपाठी जी ने इस प्रार्थना को छह पंक्तियों में लिखा था। जिसकी आगे की दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :

गत हमारी आयु हो प्रभु! लोक के उपकार में
हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में