Last modified on 13 दिसम्बर 2011, at 03:51

आदमी बुलबुला है / गुलज़ार

शरद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:51, 13 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('आदमी बुलबुला है पानी का<br /> और पानी की बहती सतह पर टूटत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।