भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तय किए सौ रास्ते / रमेश रंजक

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:26, 14 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=मिट्टी बोलती है /...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक बेहतर ज़िन्दगी के वास्ते

वक़्त के कितने थपेड़े
जिस्म पर सहते रहे
हर घड़ी पाबन्दियों में
कुछ न कुछ कहते रहे

एक छोटी-सी उमर में
तय किए सौ रास्ते

सिर्फ़ 'मैं' को 'हम'
बनाने के लिए चलते रहे
दूरवर्ती कहकहों की
आँच में जलते रहे

आदमी ढूँढ़ा किए हम
धूल-धक्कड़ फाँकते

एक बेहतर ज़िन्दगी के वास्ते