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अधिकार जीने का / रमेश रंजक
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ज़िन्दगी आधा सफ़र है
जो इसे पूरा समझते हैं
उन्हें आधी ख़बर है
एक है जो पथ बनाते हैं
दूसरे वे— चले आते हैं
और जो इनमें नहीं शामिल
उनकी क्या क़दर है ?
ख़ून का हक़ या पसीने का
जिसे है अधिकार जीने का
न्याय इसका करेगी वह ठेक
जो निर्भय, निडर है
ज़िन्दगी आधा सफ़र है