भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भोर : आशी / अज्ञेय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:01, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=सुनहरे शैवाल / अज्ञ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
भोर !
तुम ।
आशी !
जीवन है ।
आशी : !