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तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह

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तुमने क्या नहीं देखा

आग-सी झलकती में


तुमने क्या नहीं देखा

बाढ़-सी उमड़ती में


नहीं, मुझे पहचाना

धूल भरी आंधी में


जानोगे तब जब

कुहरे-सी घिर जाऊंगी


मैं क्या हूँ मौसम

जो बार-बार आऊंगी !