भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ नहीं कहूँगा / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नहीं, कुछ नहीं कहूँगा
कह कर क्या मरना है

ज़्यादा ख़तरनाक है पर
                    रहना ख़ामोश
बोलने में थोड़ा-सा झूठ
                    चलता है
ख़ामुशी बिना बोले
कह देती सब कुछ

हँसूँगा नहीं—पकड़े जाने के डर से
आजकल सभी हँसते हैं
                     बनावटी हँसी

रो सकता हूँ हाँ
—वक़्त भी रोने का ही है—
पर नहीं रोऊँगा
कहूँगा क्या पूछेंगे जो

सो जाता हूँ, चलो
क्या पूछेगा कोई
देखा ही नहीं जब कुछ
अपने सपनों के सिवा

पर कहीं सपने देखना
सच बोलना तो नहीं ?

19 जून 2009