कितना उदास फीका रहता है
वह
न हो आलोक जो
उस पर
आलोक हो जितना
उतना ख़ुद को खोता जाता है
रँग
क्या करे लेकिन रँग—
खो जाना ही
ख़ुद को पाना हो जब ?
—
13 जुलाई 2009
कितना उदास फीका रहता है
वह
न हो आलोक जो
उस पर
आलोक हो जितना
उतना ख़ुद को खोता जाता है
रँग
क्या करे लेकिन रँग—
खो जाना ही
ख़ुद को पाना हो जब ?
—
13 जुलाई 2009