अक्कड़ मक्कड़ / भवानीप्रसाद मिश्र
अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड,
हाट स िbौट,ि ठाट स िbौट,ि
एक साथ एक हाट स िbौट,ि
~ात ~ात ‘ें ~ात ठन गई,
~ाँह उठी और ‘ूँछ ितन गई,
इसन िउसकी गर्दन भीची,
उसन िइसकी दाढी खींची,
अ~ वह जीता, अ~ वह जीता,
दानिों का चb डिा ’जीता,
bागि त‘ाशाई जा िठहर,ि
स~क िेखb िहुए थ िचहिर,ि
‘गर उन‘ें था काईि ’क्कड,
‘न का राजा कर्राक³कड,
~डी भीड का िचीर-चार कर,
~ाbिा ठहरों गbा ’ाड कर,
उसन िकहा सधी ~ाणी ‘ें,
डु~ा िचुल्bुभर ािनी ‘ें,
ताकत bडन ि‘ें ‘त खाआि,ि
चbा िभाई चारें का ि~ाआि ि।
खाbी स~ ‘ैदान डिा है,
आ’त का शैतान खडा है,
ताकत एसि िही ‘त खाआि,ि
चbा िभाई चार िका ि~ाआि ि।
सुनी ‘ुर्खो न िज~ ¶ह ~ाणी,
दानिा िजैस िािनी - ािनी,
bडना छाडिा अbग हट गए,
bागि शर्‘ स िगb िछट गए,
स~का िनाहक bडना अखरा,
ताकत भूb गई त~ नखरा,
गb िे‘b ित~ अ³कड-~³कड,
खत्‘ हा िग¶ा धुb ‘ें ध³कड,
अ³कड ~³कड धुb ‘ें ध³कड,
दानिा ि‘ुरख दानिों ’³कड ।