वो मेरा है, मगर मेरा नहीं है
उफ़क़ पर जगमगाता इक सितारा
ज़मीं को रौशनी तो बाँटता है
उतरता है कब आँगन में किसी के
इक बन के लेकिन गाहे-गाहे
टपक पड़ता है दामन में किसी के
मैं उसका हूँ मगर उससे जुदा हूँ
गुज़रती शब के सन्नाटे में तन्हा
बचश्मे-नम भटकता फिर रहा हूँ