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शव-1 / समीर बरन नन्दी
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नीचे सिर ..पीठ ऊपर... सामने है -
जल समाधि लिए साधु शव...
वैसी ही बँधी धोती
पानी में चलते पैर ।
उसकी साधना से ठहर गया है --
आस-पास का जल ।
क्या गुनता रहता है --
बिना आशा बिना भय ।
किसी दिन में नहीं रहूँगा --
तो जीवित हो जाएगा..... शव ।