भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पास बैठो प्यार जतलाओ ज़रा / बल्ली सिंह चीमा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 8 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बल्ली सिंह चीमा |संग्रह=ज़मीन से उ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
पास बैठो प्यार जतलाओ ज़रा ।
मेरे दिल को अब तो समझाओ ज़रा ।
मौत से डर कर सदा चीख़ा किए,
ज़िन्दगी के गीत अब गाओ ज़रा ।
बात गाँधीवाद की छोड़ो जनाब,
भगत सिंह की राह दिखलाओ ज़रा ।
गीत ज़ुल्फ़ों के भी हम को हैं अज़ीज़,
पेट की खातिर भी पर गाओ ज़रा ।
अपने सीनों में दबी इस आग को,
धीरे-धीरे यार सुलगाओ ज़रा ।