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झील / विजय गौड़

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महामहिम दोहरा चुके हैं
अपना अंतिम संदेश :
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए
अभी जो तैयारी है
बस उसमें बलिदानी की भावना से भरे
करते रहें आप सहयोग

पानी की किल्लत से नहीं मरेंगे लोग
कछार पर लगते जाते बालू की ढेर की मानिंद
बढ़ती जा रही बेरोज़गारी को
बहा ले जाएगी
नालियों में बेतहाशा बहती
विदेशी पूंजी की बाढ़
सचमुच का पानी भी जिसको क्या बहाता

आत्महत्याओं का समन्दर सुखाकर
खिल-खिलाने लगेगी कपास
गेहँ, मक्का, बाजरा
और धान
खेत के खेत हाईब्रीड
सरदार सरोवर और टिहरी
यूँ ही नहीं बनवाई है झील