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प्यार क्यों / ठाकुरप्रसाद सिंह
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प्यार क्यों! अपार प्यार! सुधि मिट जाने दो
उसकी सुहानी याद अब मत आने दो
मोह-ममता को बांध साथ प्रेम-पत्रिका के
बहती नदी में अब छोड़ो, बह जाने दो