भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खिले फूल-से दिन यौवन के / ठाकुरप्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:43, 25 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद स...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खिले-फूल से दिन यौवन के--

ऎसे दिन आए हैं


नए पात से

गात सुहाए

हंस सिमट

पाँवों में आए


तेरे साथ सुगंध बनों की

ले ये दिन आए हैं


खिले फूल से दिन यौवन के--